दिवाली पर पूजन करने का शुभ समय

19 October, 2017
दिवाली पर पूजन करने का शुभ समय

दिवाली पर पूजन करने का शुभ समय 


दिवाली भारत में मनाया जाने वाला हिंदूओं का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन प्रभु श्री राम की अयोध्या वापसी पर लोगों ने उनका स्वागत घी के दिये जलाकर किया कि अमावस्या की काली रात रोशन भी रोशन हो गई और अंधेरा मिट गया उजाला हो गया। इसका ये अर्थ है कि अज्ञानता के अंधकार को समाप्त कर ज्ञान का प्रकाश हर और फैलने लगा इसी के कारण दिवाली को प्रकाशोत्सव भी कहा जाता है। दिवाली का त्योहार जब आता है तो साथ में अनेक त्यौहार लेकर आता है। इस वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या 19 अक्टूबर को है। इसका ये अर्थ है कि दिवाली का महापर्व भारत में इस वर्ष 19 अक्टूबर 2017 को मनाया जाएगा। इस त्योहार की रौनक एक हफ्ते पहले ही बाजारों में दिखने लगती है। इस दिन हर कोई अपने घर को दुल्हन की तरह सजाता है। इस दिन शाम के दिन अवश्य ही घर में दीपक जलाना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार मां लक्ष्मी इससे घर में प्रवेश करती हैं लेकिन इसके साथ घर से नकारात्मक शक्तियों का अंत होता है और घर में खुशियां आती हैं। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से माता प्रसन्न होकर मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

सबसे पहले चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे। लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें। पूजा करने वाले मूर्तियों के सामने की तरफ बैठे। कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें। नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है। दो बड़े दीपक रखें। एक में घी भरें व दूसरे में तेल। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में। इसके अलावा एक दीपक गणेशजी के पास रखें। मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियां बनाएं। गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं। ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं। नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी। सबसे ऊपर बीचों बीच ॐ लिखें। छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें। थालियों की निम्नानुसार व्यवस्था करें- 1. ग्यारह दीपक, 2. खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान, 3. फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक। इन थालियों के सामने पूजा करने वाला बैठे। आपके परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें। कोई आगंतुक हो तो वह आपके या आपके परिवार के सदस्यों के पीछे बैठे।

इस बार शाम 5 बजकर 48 मिनट से रात 8 बजकर 14 मिनट तक प्रदोषकाल रहेगा। जिसमें लोग सुख-समृद्धि की कामना से लक्ष्मी, गणेश और कुबेर का पूजन कर सकेंगे। दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा शुभ मुहूर्त में ही की जानी चाहिए। इसके साथ ही इस बार पूजा मुहूर्त के कई संयोग बन रहे हैं उसके अनुसार महानिशिता काल मुहूर्त में भी पूजा की जा सकती है। इस काल में शुभ मुहूर्त रात्रि 7 बजकर 05 मिनट से लेकर 9 बजे तक रहेगा।

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